वीडियो जानकारी:<br />शब्दयोग सत्संग,<br />२९ नवम्बर, २०१८<br />अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा<br /><br />प्रसंग:<br />माँगन मरण समान है, मति कोई माँगो भीख।<br />माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख॥<br /><br />अर्थ: माँगना मरने के बराबर है, इसलिए किसी से भीख मत माँगो।<br />सतगुरु कहते हैं कि माँगने से मर जाना बेहतर है अर्थात् पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।<br /><br />~ संत कबीर<br /><br />असमय परे रहीम कहि, माँगि जात तजि लाज।<br />ज्यों लछमन माँगन गए, पारासर के नाज॥<br /><br />अर्थ: कठिन परिस्थितियों में, जब प्राणों पर बन आयी हो, तब किसी से याचना करने में भी कोई बुराई नहीं है। जैसे वनवास काल के कठिन दिनों में लक्ष्मण पाराशर मुनि से अन्न-याचना करने गए तो वे याचक नहीं हो गए थे।<br /><br />~ संत रहीम<br /><br />गुरु कबीर के वचनों को कैसे समझें?<br />क्या सिर्फ़ साधु ही कबीर जी की वाणी को समझ सकता है?<br />कबीर जी और रहीम जी में क्या फ़र्क है?<br />गुरु साधक को किसी से न माँगने की सीख क्यों दे रहे हैं?<br />कबीर जी माँगने से मरने को क्यों बेहतर बता रहे हैं?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते